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सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे, चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे, ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल, मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे!
हम हक़ीक़त हैं नज़र आते हैं,दास्तानों में छुपा लो हमें,ख़ून का काम रवाँ रहना है,जिस जगह चाहो बहा लो हमें!
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो, कई अपने मेरे बदल गये अब तो, करते थे बात आँधियों में साथ देने की.. हवा चली और सब मुकर गये अब तो। 😔
गुजरी हुई जिंदगी को कभी याद ना कर,तकदीर में जो लिखा है उसकी फरियाद ना कर,जो होगा वो होकर रहेगा,तु कल की फिकर में अपनी आज की हंसी बर्बाद ना कर!
राह संघर्ष की जो चलता है,वो ही संसार को बदलता हैं,जिसने रातों से है जंग जीती..सुबह सूर्य बनकर वही चमकता है।
सफर ज़िन्दगी का बहुत ही हसीन है,सभी को किसी न किसी की तालाश है,किसी के पास मंज़िल है तो राह नहीं,और किसी के पास राह है तो मंज़िल नहीं।
वो जो हमसे नफरत करते हैं,हम तो आज भी सिर्फ़ उन पर मरते हैं,नफ़रत है तो क्या हुआ यारों,कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।
अभी को असली मंजिल पाना बाकी है अभी तो इरादों का इम्तिहान बाकी है अभी तो तोली है मुट्ठी भर जमीन अभी तोलना आसमान बाकी है
आज बादलों ने फिर साजिश की जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की अगर फलक को जिद है बिजलियाँ गिराने की तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियाँ बसाने की
ना पूछो कि मेरी मंजिल कहाँ है अभी तो सफर का इरादा किया है ना हारूंगा हौंसला उम्र भर ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है
कदर कर लो उनकी जो तुमसे,बिना मतलब की चाहत करते है,दुनिया मे ख्याल रखने वाले कम,और तकलीफ देने वाले ज्यादा होते है!
हम तुमसे दूर हो न सके,और तुम मेरे न हो सके,दर्द दोस्ती दुश्मनी तुम कुछ न निभा सके,और हम एक लम्हे को कुछ भुला न सके।
नही मांगता ए खुदा की जिंदगी 100 साल की दे,दे भले चंद लम्हो की मगर कमाल की दे।
नन्हे से दिल में अरमान कोइ रखना,दुनिया की भीड़ में पहचान कोइ रखना,अच्छे नहीं लगते जब तुम रहते हो उदास,इन होठों पे सदा मुस्कान कोइ रखना!
ज़िन्दगी तमाशा है और इस तमाशे में,खेल हम बिगाड़ेंगे, खेल को बनाने में,कारवां रुके तो उनका भी कुछ ख्याल आता है,जो सफ़र में पिछड़े हैं, रास्ता बनाने में!
उम्मीद पर वो सारा जीवन काट लेता है,आँसू के कतारो से मुस्कराना छांट लेता है,अमीर की भूख हे की कभी कम नही होती,गरीब आधा निवाला भी मगर बांट लेता है।
जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने गालिब..अब धुएँ पर बहस कैसी और राख पर ऐतराज कैसा!!
तुम्हारी पसन्द हमारी चाहत बन जाये,तुम्हारी मुस्कुराहट दिल की राहत बन जाये,खुदा खुशियो से इतना खुश कर दे आपको,की आपकी ख़ुशी देखना हमारी आदत बन जाये।
उनका वादा है के वो लौट आएंगे,इसी उम्मीद पर हम जीए जायेंगे,यह इंतज़ार भी उन्हीं की तरह प्यारा है,कर रहे थे कर रहे हैं और किये जायेंगे!
इश्क़ होना भी लाज़मी है शायरी लिखने के लिए वरना..कलम ही लिखती तो हर दफ्तर का बाबू ग़ालिब होता!
कहती हैं मुझे ज़िन्दगी,कि मैं आदतें बदल लूँ,बहुत चला मैं लोगों के पीछे,अब थोड़ा खुद के साथ चल लूँ!
सिर्फ शब्दों से न करना,किसी के वजूद की पहचान,हर कोई उतना कह नहीं पाता,जितना समझता और महसूस करता है!
सिखा दिया दुनिया ने मुझे अपनो पर भी शक करनामेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था!
आँख का आँसूं तो हर कोई बन जाता है यहाँ, हम तो बस मुस्कराहट बनने की आरजू रखते है।
उन से कह दो के नजर अंदाज न करें अगरहमने अंदाज बदल दिया तो तुम्हारी नजर झुक जाएगी।
शायद मैं इसीलिए पीछे हूं, मुझे होशियारी नही आती, बेशक लोग ना समझे मेरी वफादारी, मगर यारो मुझे गद्दारी नही आती।
दुआएँ जमा करने में लग जाओ साहब, खबर पक्की है दौलत और शोहरत साथ नहीं जायेंगे।
वक़्त तो अब लफ़्ज़ों में दिया जाता है,रूबरू तो महज दिखावा किया जाता है।
सुना है तुम तक़दीर देखने का हुनर रखते हो, मेरा हाथ देखकर बताना की पहले तुम आओगे या मौत।
सिखा न सकी जो उम्र भर तमाम किताबे मुझे.. करीब से कुछ चेहरे पढे और न जाने कितने.. सबक सीख लिए।
कौन पूरी तरह काबिल है..कौन पूरी तरह पूरा है..हर एक शक्स कही न कही..किसी जगह थोड़ा सा अधूरा है।
तेरी झोली मे सिर्फ सहानुभूति डालेंगे लोग,ग़म की कथा दुनिया वालो को सुनाना छोड़ दे।
मेरे शायरी की छांव में आकर बैठ जाते हैं,वो लोग जो मोहब्बत की धूप में जले होते हैं!
चल आ तेरे पैरो परमरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर..कुछ चोटे तुझे भी आई होगी,मेरे सपनो को ठोकर मारकर!
एक चाहत होती है, जनाब अपनों के साथ जीने की,वरना पता तो हमें भी है कि.. ऊपर अकेले ही जाना है।
कुछ लोग कहते हैं कि बदल गये है हम,उनको ये नही पता कि अब सभंल गये है हम।
चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब सेधोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले!
इस जमाने में वफ़ा की तलाश ना कर मेरे दोस्त, वो वक़्त और था जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते।